नेह के जल से तुम्हारे, चरण का अभिषेक कर लूँ।
मन मिला लूँ मन से तेरे, मन हमारे एक कर लूँ।।
कल्पना के चित्र सारे प्राण पा लें, जी उठें।
नाम बस तेरा पुकारूँ वचन का अतिरेक कर लूँ।।
- देवेश
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कुछ बातें अनकही.....
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