लो फिर आ गई याद बड़ी जालिम है।
पहली मुलाकात बड़ी जालिम है॥
उम्र भर साथ निभाना था जिसको।
राह में छोड़ गई हाथ बड़ी जालिम है॥
हमने होठों में दबा के बहुत रखा पर,
आँख से ढुलक गई बात बड़ी जालिम है॥
वो जो उजाले के सफर में निकले हैं,
रोकती उनको घनी रात बड़ी जालिम है॥
'देव' समझे इशारे जब तक उनके।
तब-तलक हो गई घात बड़ी जालिम है॥
- देवेश
Sunday, October 11, 2009
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