तुमने...
लहरों की तरह आकर,
छू लिया- किनारा मेरे मन का।
... और फिर चले गए,
लहरों की ही तरह....।
इस पर लिखी
मेरे सपनों की इबारत
घुल गई नमकीन पानी में ।
पीछे छूट गई,
एक नमी, खारापन और....
.... सिर्फ तनहाई ।।
कुछ बातें अनकही.....
तुमने...
लहरों की तरह आकर,
छू लिया- किनारा मेरे मन का।
... और फिर चले गए,
लहरों की ही तरह....।
इस पर लिखी
मेरे सपनों की इबारत
घुल गई नमकीन पानी में ।
पीछे छूट गई,
एक नमी, खारापन और....
.... सिर्फ तनहाई ।।