Saturday, August 22, 2009

करीब था पैरहन जैसे...

करीब था इतना पैरहन जैसे ।

हो गया दूर यूं उतरन जैसे ।।


वो निकलता ही नहीं जेहन से ।

कोई फंस गया है उलझन जैसे ।।


ऐसे संभाले हैं लम्हे यादों के ।

कॉपी में रखी कतरन जैसे ।।


हर तरफ वो ही आता है नजर ।

कायनात बन गई दरपन जैसे ।।


'देव' अब भी साथ रहते हैं ।

दिल में हमारे धड़कन जैसे ।।

पैरहन- शरीर पर धारण किए जाने वाले वस्त्र (इनसे ज्यादा करीब क्या हो सकता है)
उतरन- त्याग दिए गए वस्त्र (जिन्हें फिर पहनना न हो)