करीब था इतना पैरहन जैसे ।
हो गया दूर यूं उतरन जैसे ।।
वो निकलता ही नहीं जेहन से ।
कोई फंस गया है उलझन जैसे ।।
ऐसे संभाले हैं लम्हे यादों के ।
कॉपी में रखी कतरन जैसे ।।
हर तरफ वो ही आता है नजर ।
कायनात बन गई दरपन जैसे ।।
'देव' अब भी साथ रहते हैं ।
दिल में हमारे धड़कन जैसे ।।
पैरहन- शरीर पर धारण किए जाने वाले वस्त्र (इनसे ज्यादा करीब क्या हो सकता है)
उतरन- त्याग दिए गए वस्त्र (जिन्हें फिर पहनना न हो)