आदर्शों की बात कहूं तो नादानी है।
अंधेरे को रात कहूं तो नादानी है।।
तुमको तुमसे, मुझको मुझसे फुर्सत कितनी।
फ़िर भी अपना साथ कहूं तो नादानी है।।
मरणासन्न देह में किसका रक्त चढ़ाया।
प्राण बचे फ़िर जात कहूं तो नादानी है।।
झूठे, नकली, दोहरे चेहरे वाले लोग।
इनसे दिल की बात कहूं तो नादानी है।।
अपने करम भुगतने सबको पड़ते "देव"
इसे समय की घात कहूं तो नादानी है।।
- देवेश