Thursday, July 23, 2009

जब हमें पहचान हो गई...

अच्छे-बुरे की जब हमें पहचान हो गई ।
चेहरे से उनके देखिए मुस्कान खो गई ॥
साहिल को चूमने के जुनूं में उठी लहर ।
पल भर में कई बस्तियां वीरान हो गईं ॥
हैरान, फिक्रमंद, परेशान सा फिरता है ।
लगता है उसकी बेटियां जवान हो गईं ॥
जानी है किसी ने, कोई जान सकेगा ।
तेरी-मेरी बात बिन जुबान हो गई ॥
तुम साथ थे हमारे तो फासले कहां थे ।
जब हाथ तुमने छोड़ा थकान हो गई ॥
कीमत चुका लो, जाओ, तुम भी खरीद लो ।
कसमें, वफा, मुहब्बत सामान हो गई ॥
रात भर गफलत की तू पीता रहा है 'देव'
छोड़ प्याला देख अब अजान हो गई ॥
- देवेश