Wednesday, November 17, 2010

मेरी कामना... सदा के लिए...!!!


मांग रहा हूं मैं ईश्वर से, जग में बढ़े तुम्हारा मान ।
तनबल-धनबल-बुद्धि-रूपबल, ज्ञान-विवेक-तेज-सम्मान ।।
सूरज नौकर, चंदा चाकर, तारे सब हों दास-दासियां ।
सागर से भी बड़ा आपका, हे प्रियवर! हो पुण्य वितान*...।।

   *वितान - विस्तार/शामियाना


4 comments:

Anonymous said...

وكان هذا حقا للاهتمام. كنت أحب القراءة

Anonymous said...

وكان هذا حقا للاهتمام. كنت أحب القراءة

(This was really interesting. I loved reading...)

Unknown said...

सुन्दर छन्द..!

Dev Vyas said...

Dhnyawad sir