अपने दिल की कही दीवानी कर ले तू ।
बिखरी बातें जोड़ कहानी कर ले तू ।।
कल बिछुडऩ की धूप सहेंगे हम दोनों ।
आज प्रेम की छांव सुहानी कर ले तू ।।
गजलें, कविता, गीत, रूबाई रुस्वां हैं ।
देकर इनको छुअन 'मनानी' कर ले तू ।।
दूर-दूर से मिलना भी ये कैसा मिलना ?
मेरे घर भी आनी-जानी कर ले तू ।।
आंखों-आंखों में कितना बतियाएंगे ।
थोड़ी-थोड़ी बात जुबानी कर ले तू ।।
मत रूठो, मैं हाथ जोड़ता हूं तुमको ।
फिर से आकर प्रीत पुरानी कर ले तू ।।
झूठा, दुष्ट, फरेबी हूं, तो भी तेरा हूं ।
इसी बात से यार 'निभानी' कर ले तू ।।
अब तो मेरा रोना भी नामुमकिन है ।
सब कहते हैं बात सयानी कर ले तू ।।
मिलकर तुझमें 'देव' तुझी सा बन जाए ।
पानी जैसा मुझको पानी कर ले तू ।।
- देवेश
Tuesday, January 19, 2010
ग़ज़ल
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