Monday, December 15, 2008

सरस्वती-वंदना

श्वेत वसन धारण करती हो,श्वेत पद्म पर हो आसीन.

ज्ञान रश्मियां बिखराते हैं, कृपा प्राप्त कर मेधाहीन.

कवि-कोविद पूजा करते हैं और अर्चना देव महान.

ज्ञान-राशि दो मात शारदा, मांग रहा मैं सेवक दीन।

वीणा, पुस्तक, स्फटिक-मालिका, माता कर शोभित होती।

बुद्धि और विद्या की देवी भक्तों के दुःख हर लेती।

ज्ञानालोक प्राप्त कर जननी, सघन तिमिर को दूर करूं।

जिह्वा पर तुम सदा बिराजो अमृत बिन्दु छलकाती।

- देवेश

9 comments:

bijnior district said...

हिदीं लिखाडि़यों की दुनिया मे आपका स्वागत। अच्छा लिंखे। बढि़या लिखे। हा्र्दिक शुभकामनांए।

Prakash Badal said...

स्वागत अगर आप अच्छा लिखेंगे तो मैं सबसे पहला व्यकित हूंगा जो आपको टिप्पणी करने में सबसे आगे होगा।


सरस्वती वंदना तो पूजनीय है ही यह वंदना आपको प्रगति पर ले जाए।

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Manoj Kumar Soni said...

सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .

कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.manojsoni.co.nr और http://www.lifeplan.co.nr

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत सुन्दर..
वैसे भी जहां देवी सरस्वती का नामोच्चार हो,वहां तो ज्ञान ओर सुन्दरता दोनो ही पगगामिनी होंगी ही.
शुभकामनाऎ़

खूब लिखें,अच्छा लिखें

Rajak Haidar said...

ओ देव, आपके विचारों और रचनाओं को पढ़ना हमारे लिए सुखद अनुभूति होगा। हैं। मैं उम्मीद करता हूं आप नियमित लिखेंगे।

रचना गौड़ ’भारती’ said...

कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

Unknown said...

bahut he accha likha hai aapne...

hindi-nikash.blogspot.com said...

आपका ब्लॉग देखा बहुत अच्छा लगा.... मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नए अर्थ, नए रूप और विराट संप्रेषण मिलें जिससे वे जन-सरोकारों के समर्थ सार्थवाह बन सकें.......

कभी फुर्सत में मेरे ब्लॉग पर भी पधारें...
http://www.hindi-nikash.blogspot.com

सादर- आनंदकृष्ण, जबलपुर